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मलेरिया बारिश के दिनों में फैलने वाला रोग है। यह मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने से होता है। आयुर्वेद में इसकी तीन अवस्थाएं मानी गई हैं-
शीतावस्था: इसमें हल्के बुखार के साथ तेज सर्दी लगती है व रोगी को 2-3 कंबल या रजाई ओढऩे की जरूरत लगती है। इसमें रोगी के शरीर में कंपन की समस्या भी होती है।
ऊष्णावस्था: इसमें बुखार 100-105 डिग्री फारेहनाइट तक हो जाता है। पूरा शरीर तेज तपने लगता है। रोगी को तेज गर्मी व जलन महसूस होती है।
स्वेदावस्था: इसमें तेज बुखार चढऩे के बाद स्वयं घटने लगता है व मरीज पसीने से तर-बतर हो जाता है। साथ ही सिरदर्द, उल्टी, थकान जैसे लक्षण भी होते हैं।
औषधीय प्रयोग-
250 मिली. पानी में 10-12 ग्राम चिरायता, 3-4 ग्राम दालचीनी व 3-4 लौंग डालकर उबालें। 60 मिली. रहने पर दिन में तीन बार 20-20 मिलिलीटर लें। 200 मिली. पानी में 5-6 तुलसी के पत्ते, 1-2 लौंग व 3-4 कालीमिर्च डालकर उबालें। 1/4 रहने पर 1 चम्मच शहद मिलाकर सुबह-शाम 3 4 दिन पिएं।
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