- Get link
- X
- Other Apps
ठेले पर रखकर श्मशान घाट तक पहुंचाई गई थी एक्ट्रेस विमी की लाश, सड़कों पर भीख मांगते दिखे थे अंतरा माली के पिता
मशहूर गीतकार अभिलाष का लंबी बीमारी के बाद रविवार देर रात को मुंबई में निधन हो गया। वे लिवर कैंसर से जूझ रहे थे और आर्थिक तंगी के बीच पिछले 10 महीने से बिस्तर पर थे। अभिलाष को उनके अमर गीत ‘इतनी शक्ति हमें देना दाता...’ के लिए सबसे ज्यादा पहचाना जाता है।
अभिलाष से पहले भी कई सितारे रहे हैं जिन्हें अंतिम दिनों में कंगाली का सामना करना पड़ा। एक समय तो उनके पास पैसा, नाम और शोहरत सब था लेकिन अंतिम दिनों में उन्हें आर्थिक तंगी ने कहीं का नहीं छोड़ा। आइए नजर डालते हैं ऐसे ही सेलेब्स पर...
महेश आनंद
फिल्म 'शहंशाह', 'मजबूर', 'स्वर्ग', 'थानेदार', 'विश्वात्मा', 'गुमराह', 'खुद्दार', 'बेताज बादशाह', 'विजेता' और 'कुरुक्षेत्र' जैसी फिल्मों में नजर आ चुके एक्टर 9 फरवरी 2019 को अपने घर में मृत मिले थे। महेश आनंद को काफी समय से किसी भी फिल्म में काम नहीं मिल रहा था। इस वजह से वो काफी डिप्रेशन में थे। उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी और वो अकेले ही रहा करते थे।
गीता कपूर
'पाकीजा' (1972) जैसी फिल्मों में काम कर चुकीं एक्ट्रेस गीता कपूर का निधन 26 मई,2018 को हुआ था। गीता का अंतिम समय काफी कष्ट में बीता था और उनके अपने बच्चों ने उनकी सुध नहीं ली थी। गीता का कोरियोग्राफर बेटा उन्हें अस्पताल में छोड़कर भाग गया था। अशोक पंडित और दूसरे बॉलीवुड सेलेब्स गीता के इलाज का खर्च उठा रहे थे।
विमी
1967 में रिलीज हुई सुनील दत्त स्टारर ‘हमराज’ ने बॉलीवुड में एंट्री लेने वाली विमी को रातों-रात स्टार बना दिया। ‘हमराज’ के गाने जबर्दस्त हिट हुए। फिल्म की कामयाबी से विमी को करीब 10 फिल्मों में काम करने का मौका मिला। हालांकि, शराब की लत, बढ़ते कर्ज और खराब फैमिली लाइफ ने विमी का करियर बिगाड़ दिया। स्टार बनने के 10 साल बाद ही उनकी मौत हो गई। कहा जाता है कि उनकी लाश को एक चायवाले के ठेले पर रखकर श्मशान घाट ले जाया गया था।
ए के हंगल
हिंदी सिनेमा जगत में रहीम चाचा के नाम से जाने जाने वाले ए के हंगल का 26 अगस्त 2012 में हुआ था। ए के हंगल बॉलीवुड के ऐसे एक्टर हैं जिन्होंने 50 साल की उम्र में बॉलीवुड में डेब्यू किया था।
इन्होंने 70 से 90 के दशक तक ज्यादातर फिल्मों में पिता या फिर एक्टर्स के करीबी रिश्तेदार का किरदार निभाया है। बताया जाता है कि ए के हंगल भी बुरी स्थिति में घर में मृत पाए गए थे। हंगल अपने अंतिम दिनों में बेहद तंगी के दौर से गुजरे। उन्होंने अंतिम दिन किराए के एक टूटे-फूटे घर में गुजारे थे।
मौत से पहले वो कई तरह की बीमारियों से जूझ रहे थे। बताया जाता है कि जब उनकी सेहत बेहद खराब थी, तब उनके पास इलाज तक के पैसे नहीं थे। उनके बेटे ने जब पिता के इलाज के लिए पैसे ना होने की बात बताई, तब अमिताभ बच्चन ने उन्हें इलाज करवाने के लिए 20 लाख रुपए दिए थे।
भारत भूषण
गुजरे जमाने के पॉपुलर एक्टर भारत भूषण ने अपने करियर में कालिदास, तानसेन, कबीर, बैजू बावरा और मिर्जा गालिब जैसे एक से बढ़कर लोगों की भूमिका निभाई। हालांकि जिंदगी के आखिरी दिनों में उनकी हालत बेहद खराब हो गई थी।
यहां तक कि 27 जनवरी, 1992 को बेहद तंगहाली में उनकी मौत हुई थी। भारत ने बड़े भाई कहने पर कई फिल्में प्रोड्यूस कीं। इनमें से दो फिल्में 'बसंत बहार' और 'बरसात की रात' सुपरहिट हुईं और भारत भूषण मालामाल हो गए। उनके पास काफी पैसा आ गया।
इसके बाद भारत भूषण के भाई रमेश ने उन्हें और फिल्में बनाने के लिए उकसाया। भारत भूषण ने भाई की बात मान ऐसा ही किया। लेकिन अफसोस कि बाद में उन्होंने जितनी भी फिल्में बनाईं वो सब फ्लॉप होती गईं। ऐसे में भारत भूषण कर्ज में डूब गए और पाई-पाई को मोहताज हो गए।
भारत भूषण ने जितना कमाया था वो सब गवां दिया। उनके बंगले बिक गए, कारें बिक गईं फिर भी वो कहते रहे मुझे कोई तकलीफ नहीं। लेकिन जब एक दिन उन्हें अपनी लायब्रेरी की किताबें रद्दी के भाव बेचनी पड़ीं तो वो तड़प उठे।
जिंदगी के आखिरी दिनों में भारत भूषण काफी परेशान हो गए थे। इज्जत, दौलत शोहरत सब तबाह हो चुका था। महंगी गाड़ियों में घूमने वाला टॉप मोस्ट हीरो अब लोगों को बस की लाइन में खड़ा दिखता था। भारत भूषण आखिरी दिनों में बहुत ज्यादा बीमार हो गए थे। लेकिन अफसोस कि न तो कोई इलाज करवाने वाला था और न ही कोई उनकी अर्थी उठाने वाला।
भगवान दादा
एक्टर एंव निर्देशक भगवान दादा फिल्म 'अलबेला' (1951) के गीत 'शोला जो भड़के' के लिए भगवान काफी लोकप्रिय हुए। 1919 को एक टेक्सटाइल मिल मजदूर के घर जन्मे भगवान दादा का शुरू से ही एक्टिंग की ओर रुझान था। शुरुआती दिनों में उन्होंने मजदूरी भी की, लेकिन फिल्मों का मोह वह छोड़ नहीं पाए। मूक सिनेमा के दौर में उन्होंने फिल्म 'क्रिमिनल' से बॉलीवुड में कदम रखा।
हिन्दी फिल्मों में नृत्य की एक विशेष शैली की शुरूआत करने वाले भगवान दादा ऐसे 'अलबेला' सितारे थे, जिनसे महानायक अमिताभ बच्चन सहित आज की पीढ़ी तक के कई कलाकार प्रभावित और प्रेरित हुए। मगर कभी सितारों से अपने इशारों पर काम कराने वाले भगवान दादा का करियर एक बार जो फिसला तो फिर फिसलता ही गया।
आर्थिक तंगी का यह हाल था कि उन्हें आजीविका के लिए चरित्र भूमिकाएं और बाद में छोटी-मोटी भूमिकाएं करनी पड़ी। एक समय जुहू बीच के ठीक सामने उनका 25 कमरों वाला बंगला था। उनके पास सात गाड़ियां थीं। लेकिन असफलता के बाद वे दादर में दो कमरे वाली चॉल में रहने लगे। 4 फरवरी, 2002 को वहीं उनका देहांत हुआ।
ओपी नय्यर
ओंकार प्रसाद नय्यर, संगीत की दुनिया का वो नाम जिसने हिंदी फिल्म इंडस्ट्री को एक से बढ़कर एक बेहतरीन नगमे दिए। ओपी नय्यर का जन्म 16 जनवरी को 1926 को लाहौर में हुआ था जो अब पाकिस्तान देश का हिस्सा है।
ओपी नय्यर ने अपने करियर की शुरुआत फिल्म 'कनीज' से की। नय्यर साहब ने फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक दिया। लेकिन संगीतकार के तौर पर उनकी पहली फिल्म 'आसमां' रही। इसके बाद नय्यर साहब ने फिल्म 'छम छमा छम' और 'बाज' के लिए भी संगीत दिया।
ओपी नय्यर ने जाने-माने अभिनेता और निर्देशक गुरु दत्त की 'आर-पार', 'मिस्टर एंड मिसेज़', 'CID' और 'तुमसा नहीं देखा' फिल्म में भी संगीत दिया। लेकिन अंतिम समय में उन्होंने भी मुफलिसी का दौर देखा. कहा जाता है कि जब उन्हें कोई इंटरव्यू के लिए अप्रोच करता था वो शराब और पैसों की डिमांड करते थे। 28 जनवरी, 2007 को उनका निधन हो गया था।
अचला सचदेव
फिल्म 'दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे' (1995) में सिमरन यानी काजोल की दादी के रोल में नजर आईं अचला सचदेव का जन्म 3 मई 1920 को पेशावर, पाकिस्तान में हुआ था। 30 अप्रैल 2012 को अकेलेपन से जूझते हुए पुणे के एक अस्पताल में उनका निधन हुआ। इस दौरान यूएस में रह रहे बेटे ज्योतिन ने भी उनकी कोई सुध नहीं ली।
2002 में अचला के पति क्लिफर्ड डगलस पीटर्स की डेथ हो गई। इसके बाद 12 साल तक वे पुणे में पूना क्लब के पास कोणार्क एस्टेट अपार्टमेंट के दो बेडरूम फ्लैट में अकेली ही रहती रहीं। इस दौरान सिर्फ रात में एक अटेंडेंट वहां रहकर उनकी देखभाल करता था। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अचला ने भी जिंदगी का अंतिम दौर बेहद तंगहाली में काटा था।
जगदीश माली
अंतरा माली के पिता और फेमस फोटोग्राफर जगदीश माली को मुंबई की सड़कों पर भीख मांगते देखा गया था। जगदीश को मिंक बरार नाम की मॉडल ने पहचाना, उन्हें खाना खिलाया और फिर सलमान खान की कार से उन्हें घर पहुंचाया गया।
जगदीश मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं लग रहे थे और फटे-पुराने कपड़े पहने थे जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह कितनी बुरी जिंदगी बसर कर रहे थे। 13 मई 2013 को उनकी मौत हो गई थी।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2S8GO4s
Comments
Post a Comment