Skip to main content

भारतीय महिला के बदलते चेहरे को प्रतिबिम्बित करतीं शबाना आजमी, उनके चरित्र हर फिल्म में नई चुनौतियों का सामना करते हैं

बीती 18 सितंबर को अभिनेत्री, सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व राज्यसभा सदस्य (मनोनीत) शबाना आजमी ने अपने 70 वसंत पूरे कर लिए। यह बड़े गर्व की बात है कि अपनी जिंदगी के सात दशक में से 46 साल उन्होंने सिनेमा को समर्पित किए हैं। फिल्म निर्माता शेखर कपूर ने कभी कहा था कि जब भी हम भारतीय सिनेमा के अध्याय पलटेंगे, शबाना आजमी उसके टर्निंग पाइंट्स पर नजर आएंगी।

शबाना परदे पर भारतीय महिला के बदलते चेहरे को प्रतिबिम्बित करती हैं, न केवल आधुनिक, कामकाजी महिला के तौर पर, बल्कि एक गृहिणी के रूप में भी। पुराने दिनों में जहां हीरोइन सीता होती थी या शूर्पणखा, लेकिन शबाना ने अपने चरित्रों को ग्रे-शेड्स से लेकर यथार्थवादी अर्धांगिनी के विविध रूपों में मिश्रित कर दिया जो परिस्थितियों के अनुसार प्रतिक्रिया देते।

शबाना ने श्याम बेनेगल की ‘अंकुर’ से एक ग्रामीण महिला के रूप में अपने फिल्मी करिअर का आगाज किया था। लेकिन उन्होंने शुरुआत से ही कई तरह के सिनेमा में काम किया। अगर ‘अंकुर’ के कारण उन्हें ‘निशांत’ और ‘कनेश्वर राम’ जैसी कला फिल्में मिलीं तो कांतिलाल राठोड़ की ‘परिणय’ ने ‘कादम्बरी’ जैसे मध्यमार्गीय सिनेमा के लिए उनकी राह प्रशस्त की। शशि कपूर ‘फकीरा’ मूवी में शबाना आजमी के पहले मुख्यधारा के हीरो थे। इस फिल्म की सफलता के बाद उन्हें ‘अमर अकबर एंथोनी’ और ‘परवरिश’ जैसी कमर्शियल फिल्में मिलने लगीं।

सरोकारों के समाधान की तलाश लगातार जारी रही और संदेश देने के लिए उनके फिल्म निर्माता उन पर ही भरोसा करते रहे। इसलिए अगर ‘निशांत’ में एक स्कूल शिक्षक की पत्नी सुशीला पीड़ित है, तो ‘शक’ में मीना जोशी अपने पति को सच बोलने के लिए कहती है। ‘स्वामी’ में सौदामनी अपने प्रिय को पाने की तमन्ना रखती है तो ‘जुनून’ में फिरदौस हमेशा कुछ न कुछ नुक्ताचीनी करती रहती है। ‘थोड़ी-सी बेवफाई’ में शबाना अपने पति की गलती के लिए माफ नहीं करतीं और ‘अर्थ’ में धोखेबाज पति के साथ फिर से दुनिया बसाने से इनकार कर देती हैं।

‘अर्थ’ फिल्म के आखिरी दृश्य में जब इंदर (कुलभूषण खरबंदा) अपने किए की माफी मांगते हुए घर लौटने की इच्छा जताता है तो पूजा (शबाना) एक ही सवाल पूछती है : जो काम तुमने किया है, अगर वही काम मैं करती और फिर वापस लौटना चाहती तो क्या तुम मुझे स्वीकार कर लेते? इंदर इनकार में सिर हिलाता है। तब पूजा कहती है - यही जवाब मेरा भी है।

भावना सोमाया, जानी-मानी फिल्म लेखिका, समीक्षक और इतिहासकार

‘मासूम’ में कोई महिला नहीं, बल्कि एक बच्चा उसकी हंसती-खेलती दुनिया के लिए खतरा बन जाता है। फिल्म की शुरुआत में इंदु (शबाना) का बर्ताव उस बच्चे (जुगल हंसराज) के प्रति काफी कठोर होता है। लेकिन निर्देशक शेखर कपूर यह दिखाने में कामयाब रहते हैं कि बच्चे के प्रति दुराव दरअसल उसके पति के प्रति गुस्से की अभिव्यक्ति है।

शबाना के चरित्र हर फिल्म में नई चुनौतियों का सामना करते हैं। ‘जीना यहां में’ एक जोड़ा शहर में जीने के लिए संघर्ष करता है तो ‘यह कैसा इंसाफ’ में वह अपने परिवार के प्रति जिम्मेदारी निभाती हैं। ‘कमला’ मूवी एक खोजी पत्रकार की उस असल कहानी पर आधारित थी जो अपनी खबर के प्रमाण स्वरूप एक आदिवासी लड़की को खरीदता है। इस मूवी में वह अपने पति के दुस्साहस पर नाराज होती है।

‘एक डॉक्टर की मौत’ में वैक्सीन की खोज करने वाले अपने डॉक्टर पति के प्रति सीमा बहुत सहयोगी होती है, लेकिन वहीं पति के अपने काम में ही तल्लीन रहने पर वह गुस्सा भी दिखाती है।

शबाना की कई फिल्मों में संदेश उनके चरित्रों से भी बड़े थे। उदाहरण के लिए नसीर के साथ ‘पार’ और ओम पुरी के साथ ‘सुष्मान’ मूवीज को ले सकते हैं। ‘फायर’ मूवी पसंद, ‘मॉर्निंग राग’ संगीत और ‘नीरजा’ अपने प्रिय के खोने पर आधारित थी। शादीशुदा जिंदगी के अलावा भी शबाना ने कई दमदार भूमिकाएं निभाई हैं, लेकिन इनके बारे में फिर कभी बात करेंगे।



Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
अपनी पहली मूवी ‘अंकुर’ के एक दृश्य में शबाना आजमी।


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/2EHF932

Comments

Popular posts from this blog

Yoga Session: कमर और रीढ़ की हड्डियों को ठीक रखेंगे 3 योगाभ्‍यास, सभी परेशानियां हो जाएंगी दूर

Yoga Health Benefits: योगाभ्‍यास हमारी सेहत के लिए काफी लाभकारी होता है. अगर हम नियमित रूप से योगाभ्‍यास करें तो इससे शरीर मजबूत और लचीला बनता है. कुछ आसाना योगासन पीठ, कमर, गर्दन की कई समस्‍याओं को दूर कर सकते हैं. इस बारे में विस्तार से जान लीजिए. from Latest News हेल्थ & फिटनेस News18 हिंदी https://ift.tt/diUZe2T

Pokemon GO खेलने वाले जान लीजिए क्या होता है शरीर का फायदा?

Google पोकेमोन गो की रिहाई के परिणामस्वरूप, कुछ समय के लिए, डिजिटल जीवों के शिकार पर कुछ जगहों के आसपास मिलते-जुलते लोगों की भीड़ में, उनके चेहरे के सामने फोन करते थे कुछ लोगों ने इस खेल को सार्वजनिक उपद्रव के रूप में दिखाया, लेकिन कई लोगों ने इसे बचाया, इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि ये लोग सोफे पर घर पर बैठने के बजाय आसपास घूम रहे थे। केंट स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के एक हालिया अध्ययन ने एक नए स्तर पर यह अवलोकन किया है कि यह सुनिश्चित करने के लिए संख्याएं क्रंच कर रही हैं कि पॉकेमोन गो वास्तव में एक स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देता है। यह एक वर्ष रहा है जब से पॉकेमोन गो को जारी किया गया था और खेल अभी भी मजबूत हो रहा है। अधिकांश मोबाइल गेम्स के विपरीत, यह एक ऐसा खिलाड़ी है जो न केवल खड़े होकर आगे बढ़ने के लिए मजबूर करता है, लेकिन सक्रिय रूप से विभिन्न स्थानों पर चलना है। कई खिलाड़ियों ने पोकेमोन के लिए शिकार करते समय एक दिन में लंबी दूरी चलने की रिपोर्ट की। अभ्यास का प्रसार करने के लिए गेम का कितना प्रभाव था, यह आकलन करने के लिए, शोधकर्ताओं ने 350 कॉलेज छात्रों के गतिविधि स्...

डयबटज क हर छठ मरज क आख खतर म डयबटक रटनपथ बन रह अध सरव रपरट म खलस

Diabetic Retinopathy in India: डायबिटीज के मरीजों में डायबिटिक रेटिनोपैथी की वजह से अंधापन बढ़ रहा है. नेशनल डायबिटिक रेटिनोपैथी सर्वे इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 90 फीसदी लोग डाय‍िबिटीज होने के बावजूद आंखों की जांच ही नहीं कराते. from Latest News हेल्थ & फिटनेस News18 हिंदी https://ift.tt/8lZQh3P