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पुरुषों की तुलना में आमतौर पर महिलाएं स्वास्थ्य संबंधी पुरानी परेशानियों (Chronic Health Disease) जैसे मधुमेह (Diabetes), हृदय रोग (Cardio Vascular)rऔर उच्च रक्तचाप (High Blood Presuure) से अधिक पीडि़त होती हैं। लंबे समय तक इन बीमारियों को पुरुषों की क्रॉनिक डिजीज माना जाता रहा है। लेकिन चिंता की बात यह है कि ये बीमारियां खामोशी के साथ एक खतरनाक दर पर अब ज्यादा से ज्यादा महिलाओं वह भी युवा महिलाओं में ये पुराने स्वास्थ्य रोग उजागर होने लगे हैं जो देश की आधी आबादी के लिए बेहद चिंताजनक बात है। दरअसल, महिलाओं की जिंदगी कभी भी बहुत आसान नहीं रही है। आज की एक महिला 24x7 दिन में विभिन्न भूमिकाएं निभाती है। इसमें वह एक घरेलू मैनेजर से लेकर इंजीनियर, कॉर्पोरेट प्रतिनिधि, मां-पत्नी-बेटी, उद्यमी, राजनेता और भी बहुत कुछ होती है। एक महिला होने के नाते अक्सर सभी का ध्यान रखने की प्रवृत्ति उसे अपनी सेहत पर ध्यान न देने की आदत विकसित कर देती है। जिम्मेदारियों की भीड़ ने उसे अक्सर खुद के स्वास्थ्य की अनदेखी करने के लिए प्रेरित किया है। हालांकि, वह भी एक इंसान ही है। एक तहिला के लिए स्वास्थ्य कितना महत्त्वपूर्ण होता है आज हम इसी के बारे में बात करते हुए, उनमें से पुरानी और जीवन शैली की बीमारियों को उजागर करेंगे।

ये क्रॉनिक डिजीज ज्यादा होतीें
आमतौर पर महिलाओं में कौन-कौन सी पुरानी बीमारियां ज्यादा नजर आती हैं इसका पता लगाने के लिए पुराने दौर की और आज के दौर की महिलाओं की लाइफ स्टाइल को स्टडी करना चाहिए। चिकित्सकों का कहना है कि आमतौर पर महिलाओं में पुराने स्वास्थ्य रोग जैसे मधुमेह, हृदय रोगों और उच्च रक्तचाप जैसी बीमारियों की परेशानियां ज्यादा होती हैं। वहीं डायबिटीज एटलस के एक नवीन शोध के अनुसार प्रत्येक 8 में से 1 भारतीय महिला को डायबिटीज यानी मधुमेह की शिकायत है, या उसे डायबिटीज होने का खतरा है अथवा वह प्री-डायबिटिक है। वहीं बात करें भारतीय पुरुषों और महिलाओं को मधुमेह कैसे प्रभावित करता है तो इस पर भी एक्सक्लूसिव रियल वॉल्ड एविडेंस नाम से एक अध्ययन किया गया है। इस शोध से पता चला कि पुरुषों में महिलाओं की तुलना में मधुमेह का प्रसार अधिक होता है।

मधुमेह और मोटापा महिलाओं में ज्यादा
इस शोध में यह भी सामने आया कि मधुमेह और इसके जटिल प्रभाव पुरुषों की तुलना में महिलाओं में बहुत अधिक मजबूत नजर आते हैं। मधुमेह से जुड़ी कोमोरबिडिटीज का और अधिक विश्लेषण करते हुए शोध में शोधकर्ताओं ने पाया कि 60 फीसदी भारतीय महिलाएं जिनमें मधुमेह, होने की संभावना या प्री-डायबिटिक लक्षण नजर आ रहे थे वे सामान्य से ज्यादा वजन, मोटापे और फैट की समस्या से ग्रसित हैं। ऐसे ही 19 से 30 साल की आयु वर्ग की युवा महिलाओं में से प्रत्येक 5 में से 1 महिला में आगामी 2.5 सालों की अवधि में प्री-डायबिटिक होने का खतरा पाया गया। यह दर पुरुषों के 14 फीसदी की तुलना में महिलाओंमें 25 फीसदी थी। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस वृद्धि का एक इसका कारण साइको सोशल स्ट्रैस (Psycho Social Stress) हो सकता है। क्योंकि अध्ययन के अनुसार तनाव महिलाओं पर पुरुषों की तुलना में अधिक प्रभाव डालता है।

महिलाओं में हृदय रोग की आशंका अधिक
इतना ही नहीं, शोध में यह भी पाया गया कि मधुमेह ही नहीं महिलाओं को हृदय संबंधी क्रॉनिकल डिजीज के होने की भी अधिक आशंका होती है। शोध और अध्ययनों से यह भी पता चला है कि मधुमेह की शिकार महिलाओं में पुरुषों की तुलना में हृदय रोग होने की संभावना अधिक होती है। शोधकर्ताओं के अनुसार आंकड़े बताते हैं कि जीवनशैली से प्रेरित पुराने दौर की महिलाओं की सेहत की स्थिति आज की वर्तमान युवा, कामकाजी महिला आबादी पर भारी पड़ती है। गतिहीन जीवन शैली, असंतुलित आहार, काम का दबाव और समुचित आराम की कमी से जुड़े स्वास्थ्य के मुद्दे स्त्री-पुरुष दोनों ही पर एक समान रूप से कुप्रभाव डाल रहे हैं।

युवा महिलाओं में बढ़ रही हार्ट अटैक की बीमारी
बीते साल हुए अमरीकप हार्ट एसोसिएशन के जर्नल सर्कुलेशन में प्रकाशित शोध के अनुसार, 2014 में 31 फीसदी 35 से 54 वर्ष की अमरीकी महिलाओं को दिल का दौरा पडऩे पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था। साल 1995 तक कम उम्र की महिलाओं को दिल के दौरे की आशंका 21 प्रतिशत थी। हालांकि, हार्ट अटैक को पुरुषों की स्वस्थ्य संबंधी बीमारी माना जाता है। लेकिन एथेरोस्क्लेरोसिस रिस्क इन कम्युनिटीज सर्विलांस अध्ययन की इस रिपोर्ट के मुताबिक दिल के दौरे के लिए अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों में 64 प्रतिशत पुरुषों की तुलना में 71 प्रतिशत महिलाएं थीं। उत्तरी कैरोलिना स्कूल ऑफ मेडिसिन विश्वविद्यालय में कार्डियोलॉजी विभाग की वरिष्ठ चिकित्सक और शोध की प्रमुख लेखक मेलिसा कॉघेई ने कहा कि महिलाओं में तनाव, उच्च रक्तचाप, खान-पान की समस्या, बिगड़ी हुई जीवनशैली और कमजोर आर्थिक परिस्थितियां इसके लिए जिम्मेदार हैं।

ये उपाय हैं कारगर:
डॉक्टर के संपर्क में रहें
अगर आप को उच्च रक्तचाप, अवसाद, तनाव या मधुमेह जैसी अन्य कोई पुरानी या अनुवांशिक बीमारी का इतिहास है तो अपने डॉक्टर से नियमित संपर्क में रहें और जांच करवाएं।
योग-ध्यान में लगाएं मन
विशेषज्ञों का कहना है कि ध्यान, माइंडफुलनेस का अभ्यास और तनाव को कम करने वाले योगासनों से हमारा मस्तिष्क खतरे के क्षेत्र से बाहर निकल आता है। इन गतिविधियों के दौरान तनाव देने वाले एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल हार्मोन की सक्रियता कम हो जाती है जो हमारी हृदय गति और रक्तचाप को कम करता है।

खुद को सक्रिय रखें
जो लोग शारीरिक गतिविधि में संलग्न रहते हैं उनमें उच्च रक्तचाप की परेशानी कम होती है। व्यायाम से तनाव में राहत मिलती है। जब हम खुद को सक्रिय और व्यस्त रखते हैं तो हमारा शरीर उसी ऊर्जा का उपयोग कर रहा होता है जो हमारे दिमाग को तनाव देने वाले एड्रेनालाईन और कोर्टिसोल हार्माेन बनाता है। इसलिए अगर हम अपने इन तनाव देने वाले हार्मोन को कम कर लेते हैं तो अपने रक्तचाप को भी नियंत्रित कर सकते हैं।

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